• द्वापर युग में जरासन्ध की दो सुन्दर कन्याएं थी उनके नाम थे अस्ति और प्राप्ति दोनों का विवाह जरासन्ध ने अपने परम मित्र असुरराज कंस से विधिपूर्वक संपन्न...
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  • पूर्व मध्ययुग -- भक्तियुग या धार्मिक युग या पञ्चसखा युग, (ख) उत्तर मध्ययुग, रीति युग या उपेन्द्रभंज युग, (३) आधुनिक युग या स्वातंत्र्य काल ; (1850 से वर्तमान...
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  • ५९ कन्या या ५९ वर्जिनिस (59 Virginis), जिसे ई वर्जिनिस (e Virginis), ग्लीज़ ५०४ (Gliese 504) और जी॰जे॰ ५०४ (GJ 504) भी कहते हैं, एक G-श्रेणी का मुख्य...
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  • युग निर्माण योजना नवनिर्माण की अभिनव योजना है, जिसकी संकल्पना पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा मथुरा में आयोजित सन 1958 के सहस्रकुंडीय गायत्री महायज्ञ...
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  • माता-पिता कन्या के भरण-पोषण, विकास, सुरक्षा, सुख-शान्ति, आनन्द-उल्लास आदि का प्रबंध करते थे, अब वह प्रबन्ध वर और उसके कुटुम्बियों को करना होगा। कन्या नये घर...
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  • हुआ। ब्रह्मवादिनी वाक् अभृण ऋषि की कन्या थी। ये प्रसिद्ध ब्रह्मज्ञानिनीं थीं। इन्होंने अन्न पर अनुसन्धान किया और अपने युग में उन्नत खेती के लिए वेदों के आधार...
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  • सभ्य, सुविधा संपन्न, श्रमसाध्य और सुसंस्कृत बनाने का कार्य किया। ब्रह्मा युग चक्र मन्वन्तर मनु का वंश वैदिक साहित्य हिन्दू मापन प्रणाली हिन्दू धर्म का...
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  • ने जागृति की ज्योति जगाई उनमें ऋषि दयानन्द का सन्देश बहुत व्यापक था। वे युग-प्रवर्तक ऋषि थे, जिन्होंने शिक्षा, राजनीति, समाज-संगठन आदि सब क्षेत्रों में...
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  • 'स्थायी'-संबंध का निर्माण होता है। प्राचीन एवं मध्यकाल के धर्मशास्त्री तथा वर्तमान युग के समाजशास्त्री, समाज द्वारा अनुमोदित, परिवार की स्थापना करनेवाली किसी भी...
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  • सूक्त की ऋषिका घोषा, रोमशा, विश्ववारा, इन्द्राणी, शची और अपाला थी। वैदिक युग में स्त्रियाँ यज्ञोपवीत घारण कर वेदाध्ययन एवं सायं- प्रात होम आदि कर्म करती...
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  • है। पीतल, स्वर्ण आदि धातुओं को मिलाना, शुद्ध करना आदि की कला है। प्राचीन युग में बौद्धाचार्य श्रीनागार्जुन ने नुतन अविष्कार कर रसरसायन के विशेष प्रयोग...
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  • शास्त्रीय ज्ञान में नहीं, बल्कि उस पारदर्शी जीवन-दृष्टि में निहित है, जो युग का नहीं युग-युग का सत्य देखती है। उनकी प्रतिभा ने इतिहास का उपयोग ‘तीसरी आँख’ के...
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  • अश्वपति अश्वपति वैदिक तथा पौराणिक युग के प्रख्यात राजा। इस नाम के अनेक राजाओं का परिचय वैदिक ग्रंथों तथा पुराणों में उपलब्ध होता है: (१) छान्दोग्य उपनिषद...
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  • से मुक्त कराकर श्रेष्ठ संस्कार के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करना आवश्यक है। युग निर्माण के अन्तर्गत विवाह संस्कार के पारिवारिक एवं सामूहिक प्रयोग सफल और...
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  • रूप अपनी कन्या को दान में दे देना 'दैव विवाह' कहलाता है। 3. आर्श विवाह कन्या-पक्ष वालों को कन्या का मूल्य दे कर (सामान्यतः गौदान करके) कन्या से विवाह...
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  • शताब्दी में प्रारंभ होने वाले भारतीय राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के युग में प्राचीन गुरुकुलों की परम्परा पर अनेक गुरुकुल स्थापित किए गए और राष्ट्रभावना...
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  • एक गाड़ी के पहिए के समान चलता है। हमारे वर्तमान युग के पहले अनंत संख्या मे समय चक्र हुए है और इस युग के बाद भी अनंत संख्या मे समय चक्र होंगें। इक्कीसवी...
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  • पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। प्रत्येक द्वापर युग में विष्णु व्यास के रूप में अवतरित होकर वेदों के विभाग प्रस्तुत करते हैं।...
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  • कि "दीदी जिस प्रकार आपके पुत्र ने मेरा गर्भ गिराया है उसी प्रकार द्वापर युग में कंस दानव आपका गर्भ गिरा देगा। आपके गर्भ से उत्पन्न प्रत्येक पुत्र का...
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  • पश्चिमी सीमा पर स्थित था। कहा जाता है, इस नगर को महागोविन्द ने बसाया था। उस युग के सांस्कृतिक जीवन में चंपा का महत्वपूर्ण स्थान था। बुद्ध, महावीर और गोशाल...
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  • उनका सहयोग करते हैं। जैसे कि त्रेता युग के राम अवतार में शेषनाग ने लक्ष्मण भगवान का रूप धरा था। वैसे ही द्वापर युग के कृष्ण अवतार में शेषनाग जी ने बलराम...
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  • ऋषियों को कहा, आप कृपा करके गणेश, पार्वती के युगों का परिचय दीजिए। तब आगे इस खण्ड में सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर युग के बारे में बताया गया है। जन्मासुर, तारकासुर...
    14 KB (1,046 words) - 18:41, 24 April 2024
  • चार युगों में विश्वकर्मा ने कई नगर और भवनों का निर्माण किया। कालक्रम में देखें तो सबसे पहले सत्ययुग में उन्होंने स्वर्गलोक का निर्माण किया, त्रेता युग में...
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  • कोलाविध्वंशी क्षत्रिय कहा गया और त्रेतायुग मे कुली/कुलीन/कोलिय कहे गए और दुआपर युग मे क्षत्रिय कुलीन/कोली के नाम से जाने थे आगे कलयुग मे शाक्य मोरिय चौहान कोली...
    2 KB (162 words) - 04:15, 11 April 2024
  • और अनोखा अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्र के दौरान की भक्ति प्रथाओं...
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  • होता है। संस्कार प्रयोजन*:–विवाह के पूर्व ही कन्या के पिता के द्वारा वर का वरण कर लेना कि आज से आप मेरे कन्या के लिए श्रेष्ठ वर हैं। विवाह से पूर्व वर की...
    18 KB (1,149 words) - 05:09, 15 September 2023
  • युग के इतिहास में जाना होगा। भगवान कृष्ण की मृत्यु के दिन से युधिष्ठिर संवत अथवा कलिसंवत का आरम्भ होता है। उसी दिन से कलियुग का प्रारम्भ व द्वापर युग...
    9 KB (618 words) - 20:22, 2 March 2020
  • इला से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया। कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा...
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  • (देखें अधोलिखित सारणी.) यह पुरावस्तुओं में महत्वपूर्ण था, जिसने उस युग को कांस्य युग नाम दिया। इसे अंग्रेजी़ में ब्रोंज़ कहते हैं, जो की फारसी मूल का शब्द...
    17 KB (1,197 words) - 00:20, 2 June 2023
  • एक कल्प) में कितने मन्वंतर और युग होते हैं और वर्तमान कल्प के आरंभ से लेकर महाभारत युद्ध की समाप्तिवाले दिन तक कितने युग और युगपाद बीत चुके थे। आगे के...
    30 KB (2,110 words) - 18:03, 25 August 2023
  • प्रेरणा वर द्वारा मर्यादा स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक दूसरे का...
    13 KB (926 words) - 03:50, 4 February 2024